14 अगस्त 1947 की रात का वह सच जो हर
आज हम आपके सामने लाने जा रहे हैं 14 अगस्त की रात कब वह सच जिसे हर भारतीय जाना चाहेगा वह रात जिसने भारत का इतिहास भूगोल भविष्य और सोच को बदल के रख दिया वो रात थी आजादी की रात दिल्ली में 14 अगस्त की शाम से ही भारी बारिश हो रही थी |
रात 9:00 बजते बजते Raisina Hills पर करीब पांच लाख लोगों का हुजूम जमा हुआ था बारिश अब भी जारी थी रात को करीब 10:00 बजे Sardar Patel, Jawaharlal Nehru, Rajendra Prasad और Mountbatten Viceroy House पहुंचे 14 अगस्त 1947 की रात 12:00 बजने में कुछ ही मिनट बाकी थे तब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 2 लाइनें कहकर अपना प्रवचन शुरू किया चंद ही मिनटों में 12:00 बजे और 15 अगस्त का यह दिन भारत के लिए खुशियां लेकर आया |
190 सालों बाद ब्रिटिश हुकूमत से देश स्वतंत्र हुआ था लेकिन इन खुशियों के साथ उतना ही कम था क्योंकि भारत में अपना 3 लाख 46 हजार 7 सौ 38 स्क्वायर किलोमीटर का पूरा विस्तार और तकरीबन आठ करोड़ और 15 लाख लोग एक ही रात में गंवा दिए थे दे दो टुकड़ों में बट गया था हिंदुस्तान और पाकिस्तान |
हिंदुस्तान यूं ही आजाद नहीं हुआ 15 अगस्त के बाद पहले ही ब्रिटिश हुकूमत का अंत शुरू हो गया था महात्मा गांधी के जन आंदोलन से देश में नई क्रांति की शुरुआत हुई थी एक और सुभाष चंद्र बोस कि आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों का जीना दुश्वार कर रखा था |
ऊपर से दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार में उतना दम भी नहीं था कि वह अब हिंदुस्तान पर शासन चला सके इसीलिए Mountbatten को भारत का आखरी Viceroy बनाया गया था ताकि देश को आधिकारिक तरीके से स्वतंत्रता दी जा सके अंग्रेजों ने भारत को शुरुआत में 3 जून 1948 को स्वतंत्र घोषित करने का निर्णय लिया था |

लेकिन मोहम्मद अली जिना ने पाकिस्तान नामक अलग मुल्क बनाने की ठान ली थी जिसके चलते देश में कई जगह पर संप्रदायिक हिंसा शुरू हो गई बिगड़ती हुई स्थिति को देख अंग्रेज भारत को हो सके जितना जल्दी स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर देना चाहते थे क्योंकि अंग्रेजों को भी भारत को एक नहीं बल्कि दो टुकड़ों में बांटना सरूर था |
स्वतंत्रता के लिए दिन 15 अगस्त ही क्यों चुना गया इसमें ऐसा है के सिर्फ हम भारतीय हैं शुभ और अशुभ में यकीन नहीं रखते थे बल्कि ब्रिटिश लोग भी इस चीज में विश्वास रखते थे Mountbatten मानता था कि 15 अगस्त का दिन आजादी के लिए शुभ है क्योंकि 15 अगस्त 1945 के दिन ही जापान ने शरणागति स्वीकारी थी और इसके ऑफिशियल sign 2 सितंबर इसीलिए Mountbatten के अनुसार मित्र राष्ट्रों के लिए शुभ था तो फिर रात 12:00 बजे का वक्त ही की तय किया गया |
तो इसके लिए भारतीय का माना था कि वह समय देश की स्वतंत्रता के लिए शुभ है तय किया गया था पंडित नेहरू को अपनी स्पीच रात 12:00 बजे से पहले ही समाप्त कर देनी है और रात 12:00 बजे शंखनाद के साथ भारतीय लोकतंत्र की शुरुआत होगी ठीक वैसा ही हुआ 15 अगस्त की सुबह 8:30 पर पंडित नेहरू और उनके कैबिनेट ने पद और गोपनीयता की शपथ ली |
रात की लगातार बारिश के बाद सुबह आसमान बिल्कुल साफ था लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे आजाद भारत के तिरंगे को लहराते हुए अपनी आंखों से देखने के लिए देश के तिरंगे को सबसे पहले जवाहरलाल नेहरू ने रात को 12:00 बजे ही पार्लियामेंट सेंट्रल हॉल में लहराया था और दूसरी बार सुबह 8:30 पर भव्य राष्ट्र ध्वज को जनता के सामने ब्रिटिश राष्ट्र ध्वज को उतारकर लहराया गया |
देशवासियों की आंखों में खुशी के आंसू थे आजादी के बाद 15 अगस्त के दिन ही एक साथ अंग्रेजों ने देश को नहीं छोड़ा आजाद भारत के कुछ आला अफसर भी कुछ समय तक अंग्रेजी रहे 1500 ब्रिटिश सैनिकों की पहली टीम 17 अगस्त 1947 के दिन अपने देश रवाना हुई तो वही आखरी टीम 27 अगस्त 1948 के दिन निकली दोस्तों ताज्जुब की बात तो यह है |
लुटेरे अंग्रेज हमारे देश में अतिथि बनकर आए हो इस तरह से उन्हें यहां से विदा किया गया उनकी आखिरी फौज ने जब मुंबई की बंदरगाह से विदाई ली तो George Pancham को विदाई देने वाला गीत बैंड बाजों के साथ बजाया गया |
आजादी से 190 साल पहले भी अमीरचंद और मीर जाफर ने Robert Clive का ऐसे ही सनमान से स्वागत किया था और फिर क्या हुआ प्लासी का युद्ध और 190 साल की परतंत्रता फिर भी हम भारतीय कभी नहीं सुधरे अतिथि देवो भव के सूत्र को हमने आज भी नहीं छोड़ा फिर वह अतिथि भले ही हमें लूटने ही क्यों ना आया हो दोस्तों आज के लिए इतना ही और देश की इस स्वतंत्रता की कहानी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की आपकी जिम्मेदारी है |
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