गाज़ी अटैक क्या था | मिशन का क्या हुआ ? 1971
वर्ष 2017 मैं हिंदी सिनेमा ने एक फिल्म बनायीं नाम था गाज़ी अटैक । द गाज़ी अटैक 1971 मैं हुए पाकिस्तान युद्ध की सच्ची घटनाओ से प्रेरित है । कहानी है भारतीय पनडुब्बी एस 21 के कार्यकारी नौसेना अधिकारी और उसकी टीम के बारे मैं जो अठारा दिनों तक पानी के निचे रहते हैं । फिल्म उन रहस्यमई परिस्तिथियों की पड़ताल करती है जिसकी वजह से पी एन एस गाज़ी 1971 मैं विशाखापटनम के तट पर डूब गया था । ये एक पानी के निचे रहने के साहस और भारतीय पनडुब्बी एस 21 मैं सवार लोगो की देश भक्ति की कहानी है । जिन्होंने उस पाकिस्तानी पनडुब्बी पी एन एस गाज़ी को नष्ट कर दिया था । जब भारतीय जल सिमा मैं आई एन एस विक्रांत को नष्ट करने के लिए आयी थी । आखिर ये मिशन क्या था । [गाज़ी अटैक क्या था | मिशन का क्या हुआ ? 1971]
आइये जानते हैं ।

ये कहानी साल 1971 से पहले की है यानि भारत पाक युद्ध से पहले की । इस कहानी की सुरुवात होती है पाकिस्तानी नौसेना द्वारा भारतीय एयरप्लेन करियर आई एन एस विक्रांत को ध्वस्त करने की साजिश से । जिसके लिए उन्होंने अपनी अति आधुनिक सबमरीन गाज़ी को भेजा । दरअसल पाकिस्तान का इरादा बंगाल की खाड़ी पर कब्ज़ा करने का था जिसके लिए आई एन एस विक्रांत ध्वस्त होना बड़ा आवश्यक था । पाकिस्तानी सबमरीन गाज़ी का असली नाम यू एस एस डीआब्लो था । जिसे अमेरिका से ख़रीदा गया था ।
इस सबमरीन को पाकिस्तानी नोसेना ने साल 1964 मैं शामिल किया । इसकी खास बात ये थी की गाज़ी बिना रडार मैं आये 11000 नोटिकल्स माइल्स ट्रेवल कर सकती है और करीब एक महीने तक पानी के अंदर रह सकती थी । इसी के चलती रडार की नजर से छिपते हुए कराची के रास्ते गाज़ी को बंगाल की खाड़ी मैं लाया गया । जबकि भारतीय नौसेना इस बात से पूरी तरह से अनजान थी की गाज़ी बंगाल की खाड़ी मैं प्रवेश कर चुकी है ।
इसी बिच पाकिस्तानी नौसेना ने खास तरह के लुब्रिकेशन तेल से जुड़ा एक सन्देश पाकिस्तानी हेड क़्वार्टर पर भेजा । मगर ये सन्देश भारतीय नौसेना ने पकड़ लिया । इस सन्देश के मिलने से भारतीय नौसेना को पता चल गया की गाज़ी उनकी सिमा मैं प्रवेश कर गयी है । क्योंकि किसी अन्य सबमरीन मैं ये क्षमता नहीं थी की वो इस रडार से बच कर भारतीय सेना मैं आ सके ।

इस बात का पता चलते ही वाईस एडमिरल एन कृष्णन ने अपनी टीम को एकजुट किया और गाज़ी से निपटने के लिए योजना त्यार कर दी । इस दौरान गाज़ी मैं मौजूद पाकिस्तानी नौसेनिकों को गुमराह करने के लिए भारतीय नौसेनिकों ने रेडियो पर झूठे सन्देश भेजे की आई एन एस विक्रांत विजाग छेत्र के निकट है । भारतीय नौसेना की ये चल कामयाब हुई और गाज़ी विजाग की और तेजी से बढ़ने लगी । तो वही आई एन एस को पहले ही अंडमान के निकट एक्सरे तट के गुप्त जगह पर पहुंचा दिया गया ।
एक तरफ जहा भारतीय नौसेना इस बात से खुश थी की योजना का पहला पड़ाव सफल हो गया है
तो वही इस बात से अनजान थी की गाज़ी विक्रांत को नष्ट करने के इरादे विज़ाग के सागर तल मैं माइन्स का जाल बिछा रहा है । जब आई एन एस विक्रांत एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचा तो भारतीय नौसेना ने अपनी योजना के दूसरे पड़ाव की सुरुवात की । जिसके तहत उन्होंने गाज़ी का सामना करने के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध के पुराने जहाज आई एन एस राजपूत को उतारा ।
ये जहाज लगभग पूरी तरह से रिटायर हो चूका था । इस जहाज से लगातार सिग्नल भेजे जा रहे थे ताकि गाज़ी को ये लगे के जिस जहाज की और वो बढ़ रहे है वो विक्रांत है इस दौरान आई एन एस राजपूत विक्रांत बन कर उसी स्थान पर खड़ा कर दिया गया जहा गाज़ी पहुंचने वाली थी । राजपूत से लगातार सिग्नल भेजे जा रहे थे जिसे फॉलो करते करते कुछ समय बाद आखिर कार गाज़ी पहुँच गयी ।
राजपूत की कमान संभाल रहे कैप्टन इन्दर सिंह के कहने पर राजपूत ने अपने सभी नेविगेशन सिस्टम को बंद कर दिया अब समय था आमने सामने की लड़ाई का । ये 4 दिसंबर की मध्य रात्रि का समय था । सोनार पर एक सबमरीन के होने का सिग्नल मिल रहा था । कैप्टन इन्दर को पूरा यकीन था की वो सबमरीन गाज़ी ही है इसलिए उन्होंने तुरंत मिसाइल फायर करने का आदेश दे दिया ।

जैसे ही आई एन एस राजपूत ने दो मिसाइलें दागी एक मिनट के बाद ही राजपूत मैं मौजूद सैनिको को एक बड़ा धमाका महसूस हुआ । जिससे उनकी पनडुब्बी पूरी तरह से हिल गयी मगर कुछ देर बाद पता चला की ये धमाका राजपूत मैं नहीं हुआ । रात के अँधेरे मैं उस समय क्या हुआ ये किसी को पता नहीं चला ।
सुबह होने पर पानी के तल पर तेल और सबमरीन का कुछ टुटा हुआ मलबा तैरता मिला जिसे एक मछुआरे ने देखा और भारतीय नौसेना को सुचना दी । इस मलबे मैं मिले कुछ हिस्से यू एस एस डीआब्लो यानि गाज़ी की थे जिससे अंदाजा लग गया की गाज़ी उसमे मौजूद सभी सदस्य समेत समुन्दर मैं डूब गयी है ।
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हलाकि गाज़ी की इस प्रकार ध्वस्त होने की पीछे की वजह साफ़ नहीं है । एक कारन ये भी बताया जा रहा है की भारतीय मिसाइलों ने गाज़ी के उस हिस्से पर मार की जहा उसका असली स्टोर था वहां आग लगने पर गाज़ी मैं विस्फोट हुआ और वो डूब गयी । वही दूसरी वजह ये बताई जाती है की गाज़ी ने जो माइन्स की गुफाये बिछाई थी वो उन्ही मैं से किसी एक की चपेट मैं आकर ध्वस्त हो गई । बरहाल वजह जो भी हो पानी के तल मैं लड़ी गयी इस लड़ाई मैं द्वितीय विश्वयुद्ध के पुराने जहाज मैं सवार कुछ बहादुर जाबाज सिपाहियों के हौसले और हिम्मत के बिना किसी नेविगेशन सिस्टम के एक अति आधुनिक तकनीक से लेस्स सबमरीन को मार गिराया । भारतीय नौसेनिकों की इस शौर्य गाथा और उनके जज्बे को सलाम ।