पनडुब्बी में सैनिकों का जीवन कैसा होता है
भारत की सुरक्षा के लिए अलग-अलग राज्यों से सैनिक सेवा में रहते हैं। सेना को तीन भागों में विभाजित किया गया है
1) थल सेना( इंडियन आर्मी)
2) वायु सेना( एयर फोर्स)
3) जल सेना( नेवी)
यह तीनों ही सुरक्षा बल भारत की सुरक्षा के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। लेकिन एक अलग तरह का उपकरण है जो सिर्फ जल सेना ही इस्तेमाल करती है इस उपकरण का नाम है पनडुब्बी (submarine) इस उपकरण में नाविक या सैनिक कई-कई दिनों तक धरती के जीवन से दूर पानी के अंदर रहते हैं। जैसा कि आपको मालूम है कि नौसैनिक देश की सुरक्षा के लिए अलग-अलग जगह से काम करते हैं। पहले स्तर में यह देश को पानी के ऊपर रहकर सर्विस देते हैं और दूसरे स्तर में समुद्र के तह से 1000 फीट नीचे रहकर सर्विस देते हैं। [पनडुब्बी]

इन सर्विस के लिए सैनिकों को कुछ विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है और उन्हें मुश्किल प्रतियोगिता से गुजरना पड़ता है। इस प्रतियोगिता में सफल होने वाले सैनिक इस सर्विस के लिए चुने जाते हैं। इनके चयन के बाद एक नौसैनिक के तौर पर इन्हें अलग-अलग ड्यूटी सौंप दी जाती है। जैसा कि आपको मालूम होगा कि नौसैनिक का जीवन आसान नहीं होता उनके परिवार वाले बताते हैं कि इनकी जिंदगी बड़ी कठिन होती है। जब वह किसी मिशन पर जाते हैं तो यह मिशन करीब 30 दिनों का होता है और कभी-कभी तो लगातार 45 से 50 दिन तक भी काम करते रहते हैं वह भी पानी के अंदर जहां बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सैनिकों के परिवार वालों को बस यही मालूम होता है कि वह ड्यूटी पर जा रहे हैं इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं होती। उन्हें यह भी पता नहीं होता कि कितने दिनों के लिए कहां जा रहे हैं तथा कितने दिनों बाद वापस लौटेंगे। अभियान की जानकारी सिर्फ नौसेना के हेड ऑफिस को होती है। नौसैनिक अपने परिवार से दूर पानी में रहते हैं। जब वो पानी के अंदर रहते हैं तो नहाना तो दूर दाढ़ी बनाने का भी मौका नहीं मिलता। उनकी जिंदगी कठिन हो भी क्यों ना क्योंकि किसी देश के लिए सबसे खतरनाक हथियार उस देश की पनडुब्बी ही होती है। इस पनडुब्बी की खासियत यह है कि इसमें कई बड़े हथियार और मिसाइल मौजूद होते हैं।
लोगों को आमतौर पर यही लगता है कि जो इस पनडुब्बी में सैनिक होते हैं उन्हें कुछ खास सेवाएं मिलती होंगी। उन लोगों की गलतफहमी को दूर करने के लिए हम बता दें कि इन नौसैनिकों को कई कई दिनों के लिए मिशन पर भेज दिया जाता है उस पूरे समय यह पानी के अंदर ही रहते हैं। दोस्तों आपको यह बात जानकर काफी हैरानी होगी कि नौसैनिक अगर 30 दिन पनडुब्बी के अंदर रहते हैं तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा 3 बार नहाने की अनुमति मिलती है वह भी यदि सबकी सहमति हो।

क्योंकि हर नौसैनिक को प्रतिदिन तीन से चार मग पानी मिलता है
दोस्तों आपको बता दें कि पनडुब्बी के अंदर ब्लेड जैसी चीजों का इस्तेमाल करना सख्त मना है।इसलिए वे जितने भी दिन पानी के अंदर रहते हैं उन्हें बिना दाढ़ी बनाए ही रहना पड़ता है। पनडुब्बी के अंदर सूर्य की रोशनी का कोई भी जरिया नहीं होता है इसलिए जब वह समुद्र की सतह पर वापस आते हैं तो आते वक्त नौसैनिक को हाथ पैर की जकड़न की समस्या से जूझना पड़ता है और आपको बता दें कि इनके कपड़े एक ही तरह के होते हैं और यह कपड़े डिस्पोजेबल होते हैं।
इसके लिए भी एक खास कारण है क्योंकि इनके कपड़ों के ऊपर एक खास रसायन होता है जो इन नौसैनिकों को किसी भी तरीके के इंफेक्शन या एलर्जी से बचा के रखता है। बाहर से बड़ी देखने वाली पनडुब्बी के अंदर सोने के लिए सिर्फ दो ही कंपार्टमेंट होते हैं और आपको बता दें कि पनडुब्बी के अंदर सोने का समय भी शिफ्ट में निर्धारित किया जाता है।
ज्यादा जगह ना होने की वजह से उन्हें ऐसी एडजेस्टमेंट करनी पड़ती है।
पनडुब्बी ज़ब भी समुद्र में जाते हैं तो उनके साथ डॉक्टर और प्राथमिक चिकित्सा का सामान साथ में जाता है ताकि यदि किसी को उल्टी या चक्कर जैसी समस्या हो तो उन्हें तुरंत ही उनका इलाज किया जा सके।
पानी में पनडुब्बी चलते समय बहुत ही ज्यादा आवाज करती है इसलिए नौसैनिकों को अपने कान को सुरक्षित रखने के लिए एक स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। आपको हम यह भी बता दें कि पनडुब्बी मैं सीमित मात्रा में खाने का सामान ले जाया जा सकता है
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हर एक एक समान का बहुत ही ज्यादा ध्यान से इस्तेमाल किया जाता है
खाना पकाते समय कब मैच वहां का इस्तेमाल किया जाता है ताकि पनडुब्बी में ज्यादा धुआं ना उठे।सभी नौ सैनिकों को सीमित और सादा भोजन ही खाने को मिलता है। इतनी मुश्किलों का सामना करने के बावजूद भी ये नौसैनिक अपना फर्ज अदा करने से कभी भी नहीं चूकते और हमेशा देश की सेवा में लगे रहते हैं। इस सेवा भाव के बदले हमारा भी फर्ज बनता है कि हम इनके जज्बे का सम्मान करें और सलाम करें। दोस्तों अब आपको मालूम चल गया होगा की पनडुब्बी क्या होती है और उसमें रहने वाले नौसैनिकों का जीवन कैसा होता है।